हरिद्वार नगर निगम चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने मेयर और पार्षद पदों के लिए अपने-अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। इसके बाद से दोनों ही दलों में अंदरूनी कलह और असंतोष का दौर शुरू हो गया है। टिकट पाने में असफल रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी खुलकर सामने आ रही है, जिससे राजनीतिक दलों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं।
निर्दलीय लड़ने का एलान और दल बदल की तैयारी
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के कुछ असंतुष्ट नेताओं ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। वहीं, कुछ नेता अन्य दलों में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं। खासकर कांग्रेस में यह स्थिति अधिक नजर आ रही है। चर्चा है कि कुछ वार्डों में टिकटों में बदलाव हो सकता है, लेकिन इससे असंतोष कम होने के बजाय और बढ़ने की संभावना है।
कांग्रेस में असंतोष और संभावित बदलाव
कांग्रेस विधायक रवि बहादुर ने स्वीकार किया है कि सूची में सभी दावेदारों के नामों को शामिल नहीं किया जा सका है, जिससे असंतोष का माहौल बना हुआ है। उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। हालांकि, यदि ऐसा होता है तो असंतोष और गहराने की आशंका बनी रहेगी।
भाजपा में भी नाराजगी का माहौल
भाजपा ने कुछ वार्डों में निवर्तमान पार्षदों को टिकट नहीं दिया है, जिससे पार्टी के अंदर नाराजगी बढ़ गई है। कुछ कार्यकर्ता इसके लिए हरिद्वार के एक प्रमुख भाजपा नेता को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। टिकट वितरण के इस विवाद ने भाजपा के लिए भी चुनावी राह कठिन बना दी है।
चुनाव परिणामों पर पड़ेगा असर
दोनों दलों में फैले असंतोष और बगावत का सीधा असर आगामी चुनाव परिणामों पर पड़ सकता है। जहां निर्दलीय उम्मीदवार मुख्य दलों के वोटबैंक को नुकसान पहुंचा सकते हैं, वहीं दल बदल की रणनीतियां भी समीकरण बदलने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।
हरिद्वार नगर निगम चुनाव इस बार सिर्फ जनता के लिए नहीं, बल्कि राजनीतिक दलों के लिए भी बड़ी परीक्षा साबित होने वाला है।
Reported By : Ramesh Khanna