ओवैसी की पार्टी से ज़्यादा दिल्ली के वोटरों ने नोटा पर किया यकीन | दिल्ली नगर निगम चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और इस बार एमसीडी पर आम आदमी पार्टी का राज होगा. पिछले 15 सालों से सत्ता संभाले बैठी बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी है. हालांकि, एग्जिट पोल के नतीजों को देखें तो उसके हिसाब से बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को कड़ी टक्कर दी है और एक मजबूत विपक्ष की भूमिका में रहेगी. देखा जाए तो विधानसभा और एमसीडी की स्थित काफी अलग रहने वाली है.

तो वहीं, हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस बार के एमसीडी चुनाव में कई सीटों पर अपनी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानि एआईएमआईएम से उम्मीदवार उतारे थे. उम्मीदवार तो जीतने के लिए उतारे थे लेकिन उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं मिले और पार्टी का रिजल्ट फिसड्डी साबित हुआ. दिल्ली के मतदाताओं ने उन्हें जोर का झटका धीरे से दिया है और सिर्फ 0.62 प्रतिशत वोट शेयर पर समेट दिया है, जबकि ओवैसी ने दिल्ली में जोरदार चुनाव प्रचार और कई रैलियां भी की.

ओवैसी की पार्टी से ज्यादा दिल्ली के वोटरों ने नोटा पर यकीन किया है. दिल्ली की जनता ने नोटा को 0.78 प्रतिशत वोट शेयर पर समेट दिया. अगर आम आदमी पार्टी और बीजेपी के वोट शेयर की बात करें तो एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी को 42.05 प्रतिशत वोट मिला है. तो वहीं बीजेपी को 39.09 प्रतिशत वोट मिला. गौर करने वाली बात ये है कि इस बार के चुनाव में साल 2017 में हुए चुनाव के मुकाबले करीब-करीब 3 प्रतिशत कम वोटिंग हुई और करीब 50 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है.

वहीं, कांग्रेस के वोट शेयर को देखें तो वो हाशिए पर खड़ी नजर आती है. कांग्रेस को सिर्फ 11.68 प्रतिशत पाकर अपने आप को दयनीय स्थिति में पाया है. कांग्रेस के बाद निर्दलीय लोगों के लिए वोट पड़ा है जो 3.46 प्रतिशत रहा है.

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